आजकल बहुत से लोग हैं जिन्हें"पिज्जा" खाने मेंबड़ा मज़ा आता है ....तो ... मैंने भी अपना दिमाग दौड़ाना शुरूकिया .....चलिये ....
इसपर एक नज़र डालें >>पिज्जा बेचनेवाली कंपनियाँ"Pizza Hut, Dominos, KFC, McDonalds, PizzaCorner, Papa John’s Pizza, California PizzaKitchen, Sal’s Pizza"
अब मैंने हिसाब लगाया कि पिज्जाबनाने में 50 रुपएसे ज़्यादा का सामान नहीं लगता.... और गॅस औरबाकी खर्च मिला कर करीब 70 रुपए में एकबड़ा पिज्जा आसानी से बन जाता है.....
(चलो 30रुपए विज्ञापन करने के भी जोड़ ही लो)तो एक पिज्जा का लागत मूल्य हुआ 100 /-कंपनियाँ इसी पिज्जा को 350/- रुपए के करीबबेचती हैं .....अब बाकी का 250 रुपए (जो कि शुद्ध मुनाफा है)कंपनियाँ अपने साथ अमरीका ले जाती हैं(क्योंकि ये सारी कंपनियाँ अमेरिकी हैं) ....
अब आती है सोचने वाली बात .....अमेरिका की दादागिरी किसी सेछुपी नहीं है .....और जब भी कुछ छोटी सी भी बात होती है ....अमेरिका ही ऐसा अकेला देश है जो पाकिस्तान(वही .... पड़ोसी मुल्क) को आए दिन आर्थिक मददकरता है ....और ये बात भी किसी से छुपी हुई नहीं हैकि पाकिस्तान अपने मुल्क में आतंकवादियों की मददकरता है .....आतंकवादी फिर उसी पैसे से हथियार खरीदते हैं .....तो >>हमने जो पैसा अमेरिका को दिया....अमेरिका ने पाकिस्तान को दिया....पाकिस्तान ने आतंकवादियों को दिया ....और आतंकवादियों ने उससे हथियार खरीदे ....
अब थोड़ा हिसाब-किताब किया जाये.....एक साधारण बंदूक की गोली 75 रुपएकी होती है .... तो आप एक पिज्जा खाने के समयकरीब 2 लोगों की मौत का भी प्रबंध कर रहे हैं ....."सड़े हुए मैदे" का पिज्जा खाकर.... क्या हम अपनेही देश से गद्दारी नहीं कर रहे ?अगली बार जब आपके हाथ में पिज्जा आए ....तो ज़रा मुंबई के जिहादी हमले में मारे गए लोगों केचेहरे याद कर लीजिएगा .... कुछ मांग के उजड़े सिंदूरऔर अनाथ बिलखते बच्चे .....बस ... और कुछ नहीं .....उसके बाद भी अगर आप उस पिज्जा कोखा लेंगे ....तो ..... मुझे खुशी होगी ये कहते हुए कि "आपसेबड़ा गद्दार कोई नहीं" .... एक तरह से सारेआतंकी हमलों के लिए ... आप जिम्मेदार हैं ....जय हिन्द .... वंदे मातरम.
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अब मैंने हिसाब लगाया कि पिज्जाबनाने में 50 रुपएसे ज़्यादा का सामान नहीं लगता.... और गॅस औरबाकी खर्च मिला कर करीब 70 रुपए में एकबड़ा पिज्जा आसानी से बन जाता है.....
(चलो 30रुपए विज्ञापन करने के भी जोड़ ही लो)तो एक पिज्जा का लागत मूल्य हुआ 100 /-कंपनियाँ इसी पिज्जा को 350/- रुपए के करीबबेचती हैं .....अब बाकी का 250 रुपए (जो कि शुद्ध मुनाफा है)कंपनियाँ अपने साथ अमरीका ले जाती हैं(क्योंकि ये सारी कंपनियाँ अमेरिकी हैं) ....
अब आती है सोचने वाली बात .....अमेरिका की दादागिरी किसी सेछुपी नहीं है .....और जब भी कुछ छोटी सी भी बात होती है ....अमेरिका ही ऐसा अकेला देश है जो पाकिस्तान(वही .... पड़ोसी मुल्क) को आए दिन आर्थिक मददकरता है ....और ये बात भी किसी से छुपी हुई नहीं हैकि पाकिस्तान अपने मुल्क में आतंकवादियों की मददकरता है .....आतंकवादी फिर उसी पैसे से हथियार खरीदते हैं .....तो >>हमने जो पैसा अमेरिका को दिया....अमेरिका ने पाकिस्तान को दिया....पाकिस्तान ने आतंकवादियों को दिया ....और आतंकवादियों ने उससे हथियार खरीदे ....
अब थोड़ा हिसाब-किताब किया जाये.....एक साधारण बंदूक की गोली 75 रुपएकी होती है .... तो आप एक पिज्जा खाने के समयकरीब 2 लोगों की मौत का भी प्रबंध कर रहे हैं ....."सड़े हुए मैदे" का पिज्जा खाकर.... क्या हम अपनेही देश से गद्दारी नहीं कर रहे ?अगली बार जब आपके हाथ में पिज्जा आए ....तो ज़रा मुंबई के जिहादी हमले में मारे गए लोगों केचेहरे याद कर लीजिएगा .... कुछ मांग के उजड़े सिंदूरऔर अनाथ बिलखते बच्चे .....बस ... और कुछ नहीं .....उसके बाद भी अगर आप उस पिज्जा कोखा लेंगे ....तो ..... मुझे खुशी होगी ये कहते हुए कि "आपसेबड़ा गद्दार कोई नहीं" .... एक तरह से सारेआतंकी हमलों के लिए ... आप जिम्मेदार हैं ....जय हिन्द .... वंदे मातरम.
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